आप जानते हैं… मानते नहीं !
नीचतम से भी इतिहास में शुमारी हो सकती हैकिसी मूर्खतम को ही ऐसी बीमारी...
विद्रूपताओं का आईना
नीचतम से भी इतिहास में शुमारी हो सकती हैकिसी मूर्खतम को ही ऐसी बीमारी...
किसी गणतांत्रिक देश की राजनीति, आर्थिकी, समाज, तकनीक, न्याय और व्यवस्था में किसी भी तरह...
तेरे हक़ मेंकुछबेहद मामूलीऔरमेरे हक़ मेंहर बड़ा फ़ैसला आना हैजबइंसाफ़ खुदसत्ता की तान परडोल रहा...
(प्रेस कांफ्रेंस – तीसरी किस्त) पत्रकार – बुड़बक जी, ये आप सिर नीचे करके किस...
सरकार ने बहुत बड़ा कदम उठाया है, देश की जनता को उनका कर्त्तव्य याद दिलाकर।...
मास्टर जी – “बच्चो, आज मैं तुम सब की इतिहास की क्लास लूंगा। मुझे बचपन...
(प्रेस कांफ्रेंस- दूसरी किस्त) पत्रकार – साहब, आप हर समस्या का इतना अच्छा समाधान कैसे...
(पहली किस्त) पत्रकार – साहब आप चीन का नाम क्यों नहीं लेते? बुड़बक – क्योंकि...
भगवान नाम था उसका। आसमान वाला नहीं धरती का यानी सिर्फ़ नाम का भगवान। अब...
एक बार की बात है, दो बगुले थे। आप चाहो तो उन्हें बगुला भगत भी...
हक़ीक़त है क्या फ़सानामैं सब जान रहा हूँसाधो जग का यूँ बौरानामैं सब जान...
एक बूढ़ा सनकी वैज्ञानिक अपनी गोपनीय और बेतरतीब सी प्रयोगशाला में दोनों हाथ कमर पर...
(गतांक से आगे) धृतराष्ट्र (आँखें मिचमिचाते हुए) – ‘अरे पुत्र दुर्योधन जरा संजयना को आवाज़...
(गतांक से आगे) कक्ष में अकेले बैठे धृतराष्ट्र के मन में कई विचार उठ रहे...