कालिया – सरदार, उसने आज हमारी ही ज़मीन पर खूँटा गाड़ा। गब्बर – अब आएगा…
तंज के तीर
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चल भगोड़े अब कर नाटक!
बॉस का चापलूस कर्मचारी भागते हुए ऑफिस में घुसा, “सर आज तो आपको मुझे 15…
कविता
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सवाल दर सवाल!
मुद्दा ये नहीं है कि तस्वीर दिखलाई किसनेआख़िर सूरत वतन की ऐसी बनाई किसने? जायज़…
सटायर व्यूज
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तानाशाह का बिन्दुवार चरित्र (!) चित्रण
1. तानाशाह के पास न तो सेंस होता है और न ह्यूमर 2. तानाशाह व्यंग्य…
कविता
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लोकतंत्र! अंतिम प्रणाम?
हर दिन बातों से तमाम करते हो सुना है कि तुम क़त्लेआम करते हो। बन…
कविता
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गौरव-पथ लथपथ
एक बूढ़ा बाप बेरोजगार बेटे की लाश लिए कर्त्तव्य पथ से गुज़र रहा है मेरा…
कविता
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यदा यदा हि मर्मस्य….
रोज़ कहते हैं हरम में जाने से पहलेमेरी वफ़ा का हर कोई तलबग़ार है। सुना…
सटायर व्यूज
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बजट, सपने और आपके अंडे
मुंगेरीलाल मुग़ल काल का पहला बजट देख कर सो गया है। आज उसे फ़िर से…
कविता
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वो बन्दी भीगी भागी सी…
सात साल पहले एक बन्दी मिली थी, हट्टी कट्टी सी, अब तक याद आती है…
तंज के तीर
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मुर्दे की बात, मुर्दों के साथ!
सबसे पहले तो आज के दिन 1000, 500 के नोटों की पुण्यतिथि पर मेरी विनम्र…
कविता
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आप जानते हैं… मानते नहीं !
नीचतम से भी इतिहास में शुमारी हो सकती हैकिसी मूर्खतम को ही ऐसी बीमारी हो…