• Fri. Jun 2nd, 2023

अमृत काल का गब्बर !

कालिया – सरदार, उसने आज हमारी ही ज़मीन पर खूँटा गाड़ा।

गब्बर – अब आएगा मज़ा, सबने मेरा नमक खाया है।

कालिया – लेकिन कोई इसके लिये गाली खाने को तैयार नहीं है।

गब्बर – सांबा, क्या मैंने लूट का पैसा किसी दानी को दे कर ग़लत किया।

सांबा – सरदार अब गाँव के लोग अपने ही सामान को किसी दानी के हाथों फ़िर से महँगा लेने को तैयार नहीं।

गब्बर – कितने आदमी हैं?

सांबा – सरदार इतने हैं कि आपके अड्डे के तहखाने में नहीं आयेंगे।

गब्बर – तो थानों को दानियों को बेच दो और सब में गाँव वालों को ठूँस दो।

नेपथ्य से (अरे दानियों को लेकर इतना सन्नाटा क्यों है भाई)

गब्बर – इसे सबसे पहले डालो। बहुत बोलता है।

कालिया – सरदार आगे क्या करना है?

गब्बर – अरे वही जो अब तक करते आये हैं। ख़ून की होली से लोगों के दिमाग़ पर कब्ज़ा। हे हे हे… हा हा हा… चुनाव कब है, कब है चुनाव…? आक थू

@भूपेश पन्त

Facebook Comments Box

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *