सवाल दर सवाल!
मुद्दा ये नहीं है कि तस्वीर दिखलाई किसनेआख़िर सूरत वतन की ऐसी बनाई किसने? जायज़...
विद्रूपताओं का आईना
मुद्दा ये नहीं है कि तस्वीर दिखलाई किसनेआख़िर सूरत वतन की ऐसी बनाई किसने? जायज़...
हर दिन बातों से तमाम करते हो सुना है कि तुम क़त्लेआम करते हो।...
एक बूढ़ा बाप बेरोजगार बेटे की लाश लिए कर्त्तव्य पथ से गुज़र रहा है...
रोज़ कहते हैं हरम में जाने से पहलेमेरी वफ़ा का हर कोई तलबग़ार है।...
फोटो साभार
सात साल पहले एक बन्दी मिली थी, हट्टी कट्टी सी, अब तक याद आती...
नीचतम से भी इतिहास में शुमारी हो सकती हैकिसी मूर्खतम को ही ऐसी बीमारी...
तेरे हक़ मेंकुछबेहद मामूलीऔरमेरे हक़ मेंहर बड़ा फ़ैसला आना हैजबइंसाफ़ खुदसत्ता की तान परडोल रहा...
हक़ीक़त है क्या फ़सानामैं सब जान रहा हूँसाधो जग का यूँ बौरानामैं सब जान...
जय जय हे हेटलरजय जय हे हेटलरतुमने हमको सिखायाइंसानों से कैसे हेट करजय जय हे...
बाप बन गया बेटा बेटा बन गया बापअब क्या करेंगे आप ज़्यादा कुछ बोला तो...
कुछ तुम फ़िक़रे कसोकुछ मैं भी वाह वाह करूँ धुआँ मेरे घर का नहींतो मैं...
बापू!तुम मत आनाफिर सेये देखने किइतनी कुर्बानियों से मिलीआजादी काक्या हाल कर दिया हैहमनेसत्तर सालों...
तुम जिसे कहते हो सियासतबस एक कुर्सी का पंगा है। भैंस मर गयी खेती सूख...
रंगों की जब छूटी फुहारहम भी हुए तैयारप्रण कर लियानेता को रंग लगाएंगेबिल्ली के गले...