• Sat. Jul 27th, 2024

सटायर हिन्दी

विद्रूपताओं का आईना

विकास का नाश!

Byआज़ाद

Jan 28, 2023

 

देश
बरबाद हो रहा है
इसका बहुत दुःख है मुझे
लेकिन
अफ़सोस इस बात का
ज़्यादा है
कि
बरबादी का ये मंज़र
लाने में
मेरे कुछ अपने भी शामिल हैं
जाने अनजाने
मुझे यक़ीन है कि एक दिन
वो भी बरबाद होंगे
और
उनके साथ मैं भी
क्या
मेरा ज़ुर्म इतना बड़ा था
कि मुझे
उनके विकास में
‘कास’ की जगह
‘नाश’ दिखाई देता है
चाहे
वो मेरे आँखों में
कितने ही चश्मे लगा दें
जो वो अपने
आँखों में लगाए बैठे हैं
बस
इतनी अपील है
आप सबसे
कि
अपना चश्मा बदलें
तुरंत
अगर आप भी
‘नाश’ को ‘कास’
और
‘दिमाग़’ को ‘आँखों’ पढ़ रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *