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सटायर हिन्दी

विद्रूपताओं का आईना

सेवा में
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श्रीमान
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किसने कहा था
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जिसकी लाठी उसकी भैंस
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ये मुहावरा किसने दिया था?
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किसी भी चाणक्य ने तो नहीं दिया
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तो फिर किसने दिया?
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उसे साकार किसने किया?
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एंटायर पॉली ‘ट्रिक्स’ का असली जानकार तो वही है
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‘खुल जा सिमसिम’ की तरह ये मुहावरा भ्रम की गुफ़ा खोलने का मंत्र है
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इस गुफ़ा को बंद करने का मंत्र भी ज़रूर होगा
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चलो सब मिल कर ढूँढें
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ढाई आखर प्रेम का
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शायद बात बन जाए
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ना ना आप की बात हम समझ गये
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अभी सही से कहाँ बिगड़ी है
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यही कहना चाहते हैं न आप
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दिल से और ईमानदारी से बोलना
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आपके या आने वाली पीढ़ी के अच्छे दिन आ गये ना
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तो बस मस्त रहिये
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अकेले अपने भ्रम के गोले में खुश रहिये
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बस दुआ.. नहीं..नहीं.. प्रार्थना कीजिये कि वो फूटे नहीं
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क्योंकि इस गुब्बारे को आपने ही नफ़रत की गर्म हवा भर भर के इस ऊँचाई तक पहुँचाया है
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हम आपके आज के दुश्मन आपको हर वक़्त प्रेम की चादर फैलाये नीचे आपको बचाने के लिये
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तैयार मिलेंगे
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क्योंकि हम उस वक़्त भी आपको देशद्रोही नहीं कहेंगे
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देख लेना एक दिन ये आप खुद को कहेंगे या फिर आपका इतिहास
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इतिहास को निर्मम होना चाहिए
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ये कहने और करने वाले भी एक दिन उसी कलम के फरसे की धार से काटे जाएंगे
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जिस धार से आप अपने भविष्य को काट रहे हैं
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उफ़
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अब सीने में सिर्फ़ हिंदुत्व बचा है ना
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और कोई भावना नहीं
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तो क्यों ना आज रात हिंदुत्व की मणि को मस्तक पर लगा कर
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जला दी जाएं सच के सपूतों की ज़िंदा चिताएं
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और फिर अभिशप्त हो जाएं
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हर युग में मणि विहीन भटकने के लिये
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लेकिन मेरा सवाल अभी बाक़ी है
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उसने आडवाणी-जोशी को मार्गदर्शक मंडल में क्यों डाला?
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विनीत
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एक देशभक्त

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