लोकतंत्र! अंतिम प्रणाम?
हर दिन बातों से तमाम करते हो सुना है कि तुम क़त्लेआम करते हो। बन गये हो दानिशमंद अब इतने…
हर दिन बातों से तमाम करते हो सुना है कि तुम क़त्लेआम करते हो। बन गये हो दानिशमंद अब इतने…
एक बूढ़ा बाप बेरोजगार बेटे की लाश लिए कर्त्तव्य पथ से गुज़र रहा है मेरा देश गर्व से भर रहा…
रोज़ कहते हैं हरम में जाने से पहलेमेरी वफ़ा का हर कोई तलबग़ार है। सुना है ये जुमला सरदार के…
फोटो साभार
सात साल पहले एक बन्दी मिली थी, हट्टी कट्टी सी, अब तक याद आती है जब जब याद आती है,…
किसी गणतांत्रिक देश की राजनीति, आर्थिकी, समाज, तकनीक, न्याय और व्यवस्था में किसी भी तरह का बदलाव सरकारी तारीख़, समय…
सरकार ने बहुत बड़ा कदम उठाया है, देश की जनता को उनका कर्त्तव्य याद दिलाकर। इसे पूरी तरह से देश…
मास्टर जी – “बच्चो, आज मैं तुम सब की इतिहास की क्लास लूंगा। मुझे बचपन से ही इतिहास बहुत पसंद…
एक बार की बात है, दो बगुले थे। आप चाहो तो उन्हें बगुला भगत भी कह सकते हो। उड़ते उड़ते…