• Fri. Mar 29th, 2024

सटायर हिन्दी

विद्रूपताओं का आईना

नफ़रत की क्लास!

Byआज़ाद

Jul 22, 2020

मास्टर जी – “बच्चो, आज मैं तुम सब की इतिहास की क्लास लूंगा। मुझे बचपन से ही इतिहास बहुत पसंद है। कभी कभी लगता है कि मैं इतिहास बदलने के लिये ही पैदा हुआ हूँ। बच्चो, मैं तुम्हारा क्लास टीचर ही नहीं हूँ तुम्हारा ग़ुरूर भी हूँ इसलिये सबसे पहले मेरी वंदना करो।

बच्चे (खड़े होकर समवेत स्वर में) –

“ग़ुरूर ब्रह्मा, ग़ुरूर विष्णु, ग़ुरूर देवो महेश्वर
ग़ुरूर: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री ग़ुरूर वे नम:”

मास्टरजी – “बहुत अच्छा बच्चो, तुम लोग इसी तरह मन की बात सुनते रहे तो हम एक दिन पूरे विश्व के ग़ुरूर बन जाएंगे….

…अच्छा बच्चो अब सबसे पहले ये बताओ कि हमारे देश को आज़ादी कौन से साल में मिली?”

बच्चे – “साल 1947 में..”

मास्टर जी (हाथ फैला कर कटोरानुमा बनाते हुए) – “ग़लत जवाब। तुम सबने पंद्रह पंद्रह लाख रुपये जीतने का मौका गँवा दिया।”

बच्चे – “लेकिन ग़ुरूर जी, भारत के इतिहास की किताब में तो यही लिखा है।”

मास्टर जी – “लेकिन बच्चों, अब ये नया भारत है। सही जवाब है साल 2014 जब मैं मास्टर से क्लास टीचर बना था। अच्छा बच्चों अब नये भारत का इतिहास खोलो और उससे पढ़ कर मेरे सवालों के जवाब दो…

…आजा़दी की लड़ाई का सबसे प्रमुख नारा कौन सा था?”

बच्चे (किताब में झाँकते हुए) – “मास्टर जी, ‘तुम मुझे वोट दो और मैं तुम्हें अच्छे दिन दूँगा।’ ये आज भी सब से लोकप्रिय नारा है जिसने हमें आज़ादी दिलायी।”

मास्टर जी – “बहुत अच्छा बच्चो, बस ये समझो कि इस वक़्त तुम इतिहास पढ़ ही नहीं रहे हो उसे गढ़ रहे हो…”

(बच्चे तालियाँ बजा कर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं)

… अच्छा अब ये बताओ कि ‘विरोधियो भारत छोड़ो’ ये आंदोलन कब और कैसे शुरू हुआ?”

बच्चे (पन्ने पलटते हुए) – “ये आंदोलन नये भारत की आज़ादी के तुरंत बाद शुरू हो गया था। इसके प्रचार प्रसार के लिये फेकफुक, चिड़िया बम और शटअप जैसी आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाता है। इस आंदोलन के निशाने पर वो देशद्रोही हैं जिन्होंने नये भारत की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा तक नहीं लिया। ऊपर से पूरे देश में विकास को ढूँढ कर सरकार की नींद इतनी हराम किये हुए हैं कि वो विकास पैदा करके भी उसे अपना नहीं बता पा रही है। आंदोलनकारियों के छोटे छोटे जत्थों ने सड़कों और गलियों में ऐसे कई लोगों को कपड़ों से पहचान कर पीटा और मार डाला। कुछ जेल में ठूंस दिये गये हैं। ये आंदोलन लगातार जारी है।”

मास्टर जी – “बहुत ख़ूब बच्चो, अब मुझे विश्वास हो गया कि तुम लोग आगे जाकर मेरे ही वोटर बनोगे। अच्छा अब ये बताओ कि…

…’ग़रीबी तुम्हारा जन्मसिद्ध अधिकार है और ये हम तुम्हें देकर रहेंगे’, ये नारा किसने दिया?”

बच्चे – “मास्टर जी, किताब में लिखा है कि ये नारा उसी तिलक धारी गंगाधर ने दिया जो कि शक्तिमान है।”

इससे पहले कि मास्टर जी अगला सवाल पूछते, छुट्टी की घंटी टन्न टन्न बज उठी और सभी बच्चे फुर्र से नफ़रत की क्लास से बाहर निकल गये।

 

@भूपेश पन्त

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *