अमृत काल का गब्बर !
कालिया – सरदार, उसने आज हमारी ही ज़मीन पर खूँटा गाड़ा। गब्बर – अब आएगा मज़ा, सबने मेरा नमक खाया है। कालिया – लेकिन कोई इसके लिये गाली खाने को…
यदा यदा हि मर्मस्य….
रोज़ कहते हैं हरम में जाने से पहलेमेरी वफ़ा का हर कोई तलबग़ार है। सुना है ये जुमला सरदार के बाद सेतेरी ज़म्हूरियत में बहुत असरदार है। नहीं बदलेगी ज़ेहनियत…
बजट, सपने और आपके अंडे
मुंगेरीलाल मुग़ल काल का पहला बजट देख कर सो गया है। आज उसे फ़िर से अच्छे दिन का सपना आ रहा है कि वो मुग़ल पीढ़ी को मिली छूट के…
वो बन्दी भीगी भागी सी…
सात साल पहले एक बन्दी मिली थी, हट्टी कट्टी सी, अब तक याद आती है जब जब याद आती है, एक आह सी निकल जाती है उसकी शोख अदाओं ने…
मोक्ष का द्वार!!
सरकार ने बहुत बड़ा कदम उठाया है, देश की जनता को उनका कर्त्तव्य याद दिलाकर। इसे पूरी तरह से देश हित में उठाया गया कदम माना जा सकता है। आज़ादी…
लोकतंत्र की उड़ान!
एक बार की बात है, दो बगुले थे। आप चाहो तो उन्हें बगुला भगत भी कह सकते हो। उड़ते उड़ते दोनों अपनी प्यास बुझाने एक सरोवर के तट पर उतरे।…
राम (लला) राज!
कलयुग के ज़मीनी विवाद की पुरातात्त्विक खुदाई से देश में त्रेता युग के बाल कांड का प्रारंभ हुआ है। सरकार अब प्रभु के बाल चरित्र अवतार की ओर से धर्म…
प्रधान जी को नो बेल!
प्रधान जी गुस्से से कमरे में टहल रहे हैं। तनाव से पसीना चेहरे के साथ साथ टीशर्ट को भी हर जगह से भिगोने लगा है। नेताजी हाथ में पकड़ी एक्यूप्रेशर…
चुनावी होली !
रंगों की जब छूटी फुहारहम भी हुए तैयारप्रण कर लियानेता को रंग लगाएंगेबिल्ली के गले में घंटी बांधेंगेतभीगुझिया और भांग खायेंगे। धन्यभागनेताजी के दर्शन हुएश्वेत वस्त्र भी थे धुले हुएनेताजी…