वो देखेंगे
ज़ालिम हैं जो वो भी देखेंगे
वो देखेंगे
जो अच्छे दिनों का वादा था
वो झूठा तेरा इरादा था
जब तेरे सारे जुल्मो सितम
पल भर में हवा हो जाएंगे
जब मज़लूमों के जिस्मों पर
वो खूनी डंडे बरसेंगे
और लहू बहकर मासूमों का
पांव तले से धरती खींचेगा
वो देखेंगे
ज़ालिम हैं जो वो भी देखेंगे
वो देखेंगे
जब अहंकारी दशानन के
सब बुत जलवाए जाएंगे
जब हर तबके के लोग यहाँ
आज़ादी के तराने गाएंगे
गद्दार भगाए जाएंगे
और फंदे भी चूमे जाएंगे
वो देखेंगे
ज़ालिम हैं जो वो भी देखेंगे
वो देखेंगे
ना ताज रहेगा हिटलर का
जो पहले था और अब भी है
जो हम सब की ही ग़लती है
बस राज चलेगा इन्सां का
जो हम भी हैं और तुम भी हो
उठेगा अपने हक़ का नारा
जो तुझको भी है मुझको भी
वो देखेंगे
ज़ालिम हैं जो वो भी देखेंगे
वो देखेंगे
(इस दुस्साहस के लिये फ़ैज़ साहब से माफ़ी के साथ)