• Sat. Jul 27th, 2024

सटायर हिन्दी

विद्रूपताओं का आईना

चीनी कम !

Byआज़ाद

Aug 28, 2020

ताया जी सुबह से सारा सामान पैक करके बैठे हैं। ज़िद ठान रखी है कि पड़ोस के चीन गाँव जाना है।

‘अरे भई, क्यों जाना है चीन गाँव जो खुद चल कर इधर आ रहा है।’

ताया जी पर इन बातों का कोई असर नहीं। बोलते हैं,

‘न कोई इधर आया है और न कोई उधर गया है। लेकिन मुझे चीन गाँव जाना ही जाना है।’

‘..अरे लेकिन वहां जाकर करना क्या है ताऊ?’

पूछो तो सफ़ेद दाढ़ी सहलाकर और मोर का मूठ वाली छड़ी घुमा कर बोलते हैं,

‘मुझे वहाँ जाकर चुनाव लड़ लेना है। मुझे पक्का यक़ीन है कि मैं चीन गाँव का प्रधान बन सकता हूँ।’

‘लेकिन तुझे कैसे पता ताऊ?’

‘मुझे पता है कि आधे से ज़्यादा चीनी मुझे पसंद करते हैं। क्योंकि उतने ही मुझे चीनी कम जानते हैं। चाय और चीनी के बीच मिठास का रिश्ता तो होता ही है। भले ही चाय बनाने वाला उसे घोल कर पी जाए..’

‘अरे.. अरे भावनाओं में मत बहक ताऊ नहीं तो शुगर बढ़ जाएगी। तू तो ये बता कि इत्ता सारा सामान लेकर चीन गाँव जाएगा कैसे?’

‘मैं सोच रहा हूँ अभी जो दो आलीशान ट्रक ख़रीदे हैं उनमें से एक को लेकर बॉर्डर की ओर निकल जाता हूँ। वहाँ कुछ उत्साही चीनी गाँव वाले मेरे स्वागत के लिये ठीक ठोक चीनी एपल लेकर हमारी ही सीमा में घुस आये हैं। मेरा वहाँ पहुँचना बहुत ज़रूरी है नहीं तो उनका दिल ठुक जाएगा।’

‘अरे लेकिन चीन गाँव में तेरी इस लोकप्रियता का राज़ क्या है जाते जाते ये तो बताता जा ताऊ…’

ताऊ पलट कर बोला, ‘अरे चीन गाँव वाले मुझे इसलिये इतना पसंद करते हैं क्योंकि मैं चीनी बिल्कुल नहीं खाता। मैं तो मशरूम, काजू, आजू-बाजू क्या क्या खाता हूँ वो तो पता ही है तुमको।’

हम एक दूसरे का मुँह देख रहे थे उधर ताऊ गाते हुए निकल लिये…

‘मैं निकला गड्डी ले के, जिधर से सर्वे आया; चीन गाँव को पसंद मैं आया’

नोट – ये संवाद डायबिटीज के रोगियों को चीनी कम करने के प्रति उत्साहित करने हेतु एक अ राजनीतिक संदेश मात्र है। वैसे भी ये वक़्त राजनीति करने का नहीं है लेकिन अब ताऊ के सिर पर चुनाव का भूत सवार है तो हम आप क्या कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *