(चीनी कम पार्ट 2)
जैसा कि आप जानते हैं कि ताऊ को अचानक पता चलता है कि वो चीन गाँव में भी बहुमत से चुनाव जीत सकते हैं क्योंकि वो चीनी नहीं खाते हैं। चीन गाँव जाने पर अड़े ताऊ अपनी नयी नवेली आलीशान गड्डी लेकर बॉर्डर की तरफ़ निकले ही थे कि उन्हें बंगले के मेन गेट पर रुकना पड़ा।
गेट के दूसरी ओर कुछ जाने पहचाने कुख्यात बकैत चाटुकार चेहरे हाथ हिलाते नज़र आये। ताऊ ने झट कष्टनाशक मंत्र पढ़ते हुए इशारे से उन्हीं मीडिया वालों को भीतर बुलाया जो उनके अगल बगल में रहते हैं।
अपने ही सत्ता चैनल से आये चाटुकारों.. सॉरी पत्रकारों ने घुसते ही सबसे कठिन सवाल दाग दिया, ‘ताऊ आप इतने महान कैसे हो?’
ताऊ ने मुस्कुराहट के साथ आसानी से उन्हें जवाब दिया, ‘पता नहीं… मैं इतना अच्छा क्यों हूँ…. पता नहीं।’
‘लेकिन ताऊ आप को पता कैसे चला कि आप चीन गाँव में भी चुनाव जीत सकते हो?’
‘अरे.. वो मेरे जानने वाले झूलेलाल ने चीन गाँव में एक सर्वे करवाया… खुंदक में। उसने चीनियों से पूछा कि वो किसे ज़्यादा जानते हैं। उसे या मुझे।’
‘तो फिर क्या हुआ?’
‘कमाल हो गया सिर्फ़ अड़तालीस फ़ीसदी से कुछ ज़्यादा चीनी मुझे जानते हैं और बाक़ी झूलेलाल को।’
‘तो इसमें आपका क्या फ़ायदा हुआ?’
‘अरे मूर्खो… जो अपने घाटे से भी मुनाफ़ा न कमा ले वो बनिया नहीं। और मैं तो अपने गाँव का प्रधान भी हूँ छह सालों से ताबड़तोड़। इसके बावजूद इक्यावन फ़ीसदी से ज़्यादा चीनी मुझे या तो बहुत कम जानते हैं या नहीं जानते। जीत का स्कोप यहीं है।’
‘वो कैसे?’
ताऊ गरमाते हुए बोला, ‘इंटायर पॉलिटिक्स समझ में नहीं आती तुमको, अरे जो लोग मुझे नहीं जानते वो ही आज की डेट में मेरे भक्त हैं.. यहाँ भी और वहाँ भी। न कोई उधर से आया है और न ही कोई इधर से गया है। समझे?’
‘हमें हमारे पहले प्रश्न का उत्तर मिल गया प्रधान जी कि आप इतने महान कैसे हो?’
तभी ताऊ का फोन बज उठा…. चीनो अरब हमारा, हिंदोस्तां हमारा…. सर्वे कह रहा है.. ताऊ प्रधान है न्यारा
ताऊ ने फोन स्पीकर पर लगा कर पूछा, ‘क्या हुआ बे रामसेवक, मंदिर से पेट नहीं भर रहा तेरा, क्यों रो रिया है?’
रामसेवक ने चिल्लाते हुए बोला, ‘ताऊ अभी कहीं जाने का नहीं, सुशांत और प्रशांत दोनों ने इमेज की मां बहन का एकीकरण कर दिया है। समझ नहीं आ रहा क्या हो रिया है.. और फिर आपको ये भी देखना है कि रसोड़े में कौन था।’
फोन की बात कानों पर पड़ते ही चाटुकार चेहरे समवेत सुर में रिरियाने लगे।
ताऊ ने कहा, ‘इन मामलों की अहमियत को राजनीति से ऊपर रखते हुए आख़िरकार मैं चीन गाँव न जाने का फ़ैसला ले रिया हूँ।’
तभी से सुशांत फँस रिया है, प्रशांत माफ़ी नहीं मांग रिया है।
चीन गाँव के इक्यावन फ़ीसदी से ज़्यादा लोग ये नहीं जानते कि उन्होंने आपदा का कितना बड़ा अवसर गँवा दिया है। अब रोना खुशी का हो या दुःख का आँसू तो निकल ही जाते हैं। इस लिहाज़ से बोले तो चीन रो रिया है.. या हँस रिया है.. पता नहीं जाने दो।
@भूपेश पन्त