• Sat. Jul 27th, 2024

सटायर हिन्दी

विद्रूपताओं का आईना

राजा नंगा है !

Byआज़ाद

Nov 15, 2014

तुम जिसे कहते हो सियासत
बस एक कुर्सी का पंगा है।

भैंस मर गयी खेती सूख गयी
बाक़ी सब कुछ चंगा है।

दरवाज़े पे कोई दे रहा दस्तक
नेता है या भिखमंगा है।

रास्ता सीधा करके क्या होगा
चलने वाला जब बेढंगा है।

ख़ौफ़ से झुका हूँ जिसके आगे
कैसे कह दूँ कि लफंगा है।

बस खेल है कुछ शौक़ीनों का
तुम कहते हो कि दंगा है।

ज़बां पर प्यार दिलों में नफ़रत
किस रंग में सियार रंगा है।

मौन तोड़ना पड़ सकता है भारी
मत कहो कि राजा नंगा है।

@भूपेश पंत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *