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जहाँगीर का घंटा !

तेरे हक़ मेंकुछबेहद मामूलीऔरमेरे हक़ मेंहर बड़ा फ़ैसला आना हैजबइंसाफ़ खुदसत्ता की तान परडोल रहा हैतोकिस कमबख़्त कोउसकाघंटा बजाना है। तुझेतो बसझटपट न्यायकीपड़ी हैउन्हें तो बाद मेंसालों तकचली बहसों औरअपराध…

लोकतंत्र की उड़ान!

एक बार की बात है, दो बगुले थे। आप चाहो तो उन्हें बगुला भगत भी कह सकते हो। उड़ते उड़ते दोनों अपनी प्यास बुझाने एक सरोवर के तट पर उतरे।…

बेवकूफ़ों की नंगई!

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