लोकतंत्र! अंतिम प्रणाम?
हर दिन बातों से तमाम करते हो सुना है कि तुम क़त्लेआम करते हो। बन गये हो दानिशमंद अब इतने सुई घुमा के सुबह को शाम करते हो। देखी नहीं…
राजा नंगा है !
तुम जिसे कहते हो सियासतबस एक कुर्सी का पंगा है। भैंस मर गयी खेती सूख गयीबाक़ी सब कुछ चंगा है। दरवाज़े पे कोई दे रहा दस्तकनेता है या भिखमंगा है।…