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Poem

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यदा यदा हि मर्मस्य….

रोज़ कहते हैं हरम में जाने से पहलेमेरी वफ़ा का हर कोई तलबग़ार है। सुना है ये जुमला सरदार के बाद सेतेरी ज़म्हूरियत में बहुत असरदार है। नहीं बदलेगी ज़ेहनियत…

चुनावी होली !

रंगों की जब छूटी फुहारहम भी हुए तैयारप्रण कर लियानेता को रंग लगाएंगेबिल्ली के गले में घंटी बांधेंगेतभीगुझिया और भांग खायेंगे। धन्यभागनेताजी के दर्शन हुएश्वेत वस्त्र भी थे धुले हुएनेताजी…