जंगल के राजा को घर घर लाओगे
कल अपने बच्चों को कैसे बचाओगे
बन जाओगे जो एक दिन तुम बुद्धू
लौट के फ़िर किस घर पर आओगे।
जिस किताब को माथे से लगाते हो
कल उसके पन्ने पलट भी ना पाओगे
बन जाओगे जो एक दिन तुम बुद्धू
लौट के फ़िर किस घर पर आओगे।
सुक़ून पाते हो जिनकी चीख़ सुन के
कल अपनी चीख़ें किसको सुनाओगे
बन जाओगे जो एक दिन तुम बुद्धू
लौट के फ़िर किस घर पर आओगे।
माना आस्तीन में साँप पाल लिये हैं
क्या अपने बदन में आग लगाओगे
बन जाओगे जो एक दिन तुम बुद्धू
लौट के फ़िर किस घर पर आओगे।
नफ़रत का जो ये चक्रव्यूह रचा है
एक दिन अभिमन्यु बन पछताओगे
बन जाओगे जो एक दिन तुम बुद्धू
लौट के फ़िर किस घर पर आओगे।
माना कि ख़ून बहा कोई नहीं बचा
फ़िर किसको मार कर खा पाओगे
बन जाओगे जो एक दिन तुम जंगली
लौट के फ़िर किस घर पर आओगे।
@आज़ाद