हर जगह वो पीत पदार्थ जिस पर मक्खियाँ बड़ी तादाद में भिनभिनाएँ, गुड़ नहीं होता।
मक्खियों के चुनाव और भक्ति के भाव पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए।
मक्खियाँ अब अपना राष्ट्र बनाकर उस पर बैठने को आतुर हैं।
मक्खियों की निगाह मधुमक्खियों के पुराने छत्ते पर है।
मक्खियाँ पीत पदार्थ पर बैठ कर मधुमक्खियों के छत्ते पर धावा बोल रही हैं।
उनका लक्ष्य मधुमक्खियों के सुगंधित शहद पर बैठ कर उसे अपनी सत्ता का अंग बना देने का है।
पीत पदार्थ से सनी मक्खियों की दुर्गंध के कारण मधुमक्खियों को लड़ने में दिक्कत आ रही है।
उन्हें दोनों हाथों से लड़ने की बजाय एक हाथ नाक पर रखना पड़ रहा है।
दुश्मन बेशरम और गंदगी में लिपटा हो तो शरीफों के लड़ने की ताकत आधी हो जाती है।
लगता है मधुमक्खियों को अब नित्य कर्म से संयोजित उनका शहद गंवाना पड़ेगा।
मक्खियों के लिये तो उनके शहद और पीत पदार्थ में कोई अन्तर नहीं है।
मधुमक्खियों के लिये वही उनके अब तक के प्रयासों का सार है।
राष्ट्रवादी मक्खियों के चुनाव की यही प्रक्रिया है।
उनकी भिनभिनाहट ने मधुमक्खियों को भ्रमित कर दिया है।
इतना कि वो डंक मारना भी भूल चुकी हैं।
#भूपेश_पन्त
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