क्या चाह करूँ !
कुछ तुम फ़िक़रे कसोकुछ मैं भी वाह वाह करूँ धुआँ मेरे घर का नहींतो मैं क्यों आह आह करूँ। ज़मीर हूँ मैं ज़िंदा तेरातू मेरा शरीर है जाने मन तेरी…
कुछ तुम फ़िक़रे कसोकुछ मैं भी वाह वाह करूँ धुआँ मेरे घर का नहींतो मैं क्यों आह आह करूँ। ज़मीर हूँ मैं ज़िंदा तेरातू मेरा शरीर है जाने मन तेरी…