मेरा प्रश्न – देश के भविष्य को लेकर मेरा सपना क्या है?
मेरा ज़वाब- बच्चे पालना मेरा सपना है इसलिये मैंने सबसे पहले सांसदों से एक गाँव गोद लेने को कहा लेकिन उनकी गोद में अपने बच्चे थे जिनको उन्होंने इस प्रोजेक्ट की आड़ में नेता बना दिया। ये कोई परिवार वाद नहीं गोदी की भावनाओं का सवाल है।
मेरा प्रश्न- क्या मेरा सपना मुझे वोट दिला सकता है?
मेरा ज़वाब- दिला सकता नहीं दिला रहा है, मेरा सपना भी वोट खींच सकता है। आख़िर मैंने अपने भक्तों को भी गोद लिया है। लेकिन मैं उनको कभी गोद से नहीं उतारुंगा ताकि वो कभी अपने पाँवों पर खड़े न हो सकें। जिस दिन वो चलना और पढ़ना सीख गये न्याय माँगने लगेंगे। मैं अपने गोद लिये बच्चे से लात नहीं खा सकता तो उनका बुद्धिजीवी रूप कैसे बर्दाश्त करूँगा।
मेरा प्रश्न- मैं अपने गोदी के बच्चों को लेकर कितना भावुक हूँ?
मेरा ज़वाब- साफ़ बात ये है कि मुझे अपने बच्चों को गोदी में ही रख कर जीते जी अपना लाडला बनाए रखना है। उनकी बदौलत मुझे कई फ़ायदे मिलते हैं। अव्वल तो लोग मुझ बच्चेदार पर शक़ नहीं करते। दूसरा कभी मुझ से ग़लती हो भी जाये तो मैं बच्चों की आड़ में बच निकलता हूँ। तीसरा मैं वोट भी उन्हीं बच्चों से अग्नि वीर के नाम पर ले लेता हूँ।
मेरा प्रश्न- मैं अपने गोदी बच्चों को क्या संदेश देना चाहता हूँ?
मेरा ज़वाब- मैं चाहता हूँ कि जैसे मैं अपनी हरक़तों और सोच को सामने वाले पर उसकी मज़ाक बनाने के लिये इस्तेमाल करता हूँ वैसे ही मेरे बच्चे भी करते रहें। मेरी गोद होलिका की तरह नहीं है क्योंकि उसके ताप से भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाता है और हर भ्रष्टाचारी मेरी दाढ़ी सहलाता है। मैं चाहता हूँ कि जब तक ज़िन्दा रहूँ उनकी ऐसी ही हरकतों के चलते सम्मानजनक जीवन जीता रहूँ क्योंकि मुझे पता है कि मेरे इन गोदी गाँवों या बच्चों का भविष्य क्या है। जो उन्होंने आने वाले दिनों में खाना है वो मैं कभी नहीं खाना चाहता। मैं उनका वर्तमान हूँ भविष्य नहीं क्योंकि मैं ही असली पप्पू हूँ।
मेरा नोट- किसी भी विरोधी पत्रकार को मेरा पहला इंटरव्यू है इस लिये मेरी गोदी का मीडिया इसका जमकर प्रसार करे। आप सब भी इसे मेरे लिये लाइक और शेयर करें।
कार्टून साभार सतीश आचार्य