कविता जान रहा हूँ आज़ाद हक़ीक़त है क्या फ़सानामैं सब जान रहा हूँसाधो जग का यूँ बौरानामैं सब जान रहा हूँ। सैफ़ ज़ुबाँ से बरगलानामालूम…