लोकतंत्र! अंतिम प्रणाम?
हर दिन बातों से तमाम करते हो सुना है कि तुम क़त्लेआम करते हो। बन गये हो दानिशमंद अब इतने…
हर दिन बातों से तमाम करते हो सुना है कि तुम क़त्लेआम करते हो। बन गये हो दानिशमंद अब इतने…
कोई आधी रात के घोर अंधेरे में मेरे घर का दरवाज़ा ज़ोर ज़ोर से खटखटा रहा है। मुझे लगता है…