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लोकतंत्र! अंतिम प्रणाम?

हर दिन बातों से तमाम करते हो सुना है कि तुम क़त्लेआम करते हो। बन गये हो दानिशमंद अब इतने सुई घुमा के सुबह को शाम करते हो। देखी नहीं…

सावधान!

कोई आधी रात के घोर अंधेरे में मेरे घर का दरवाज़ा ज़ोर ज़ोर से खटखटा रहा है। मुझे लगता है कि ये आपातकाल है! @भूपेश पन्त