प्रपंचतंत्र कथा ये… क्या हुआ ! आज़ाद एक समय की बात है, एक बार एक बेहद धूर्त और चालाक सियार था। रामगढ़ के बीहड़ जंगल में सियारवाद…
कविता चुनावी होली ! आज़ाद रंगों की जब छूटी फुहारहम भी हुए तैयारप्रण कर लियानेता को रंग लगाएंगेबिल्ली के गले में घंटी बांधेंगेतभीगुझिया और भांग…